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सामाजिक समानता के अग्रदूत: संत नारायणा गुरू जी

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श्री ज्ञान गंगोत्री विकास संस्था (पंजी) एन.जी.ओ. एवं डाॅ. अम्बेडकर प्रतिष्ठान, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार के सयुक्त तत्वाधान में 20 अगस्त 2015, गांधी शांति प्रतिष्ठान, आई.टी.ओ., नई दिल्ली के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त भारत में जन्में 9 संतो, महापुरूषों के विचारों को शहर से गांव तक पहुँचाने व नारी को सशक्त बनाने का संकल्प लिया। 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महामहिम श्री जगदीश्वर गौवर्द्धन, उच्चायुक्त, माॅरिशस, भारत के करकमलों द्वारा दीप प्रजोलित किया गया और अपने विचारों को व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में मेरे पूर्वज का पहचान छिपा है और मैं भारत में जन्में संतो महापुरूषों को माॅरिशस में आज भी याद करते है और मेरे माता-पिता भी इन संतों के अनुयायी थे मैं श्री ज्ञान गंगोत्री विकास संस्था के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप उपस्थित जरूर हूँ परन्तु पहले मैं भारतीय हूँ और भारत के सभ्यता सांस्कृति को बनाये रखने में भारत के संतों का जितना भी प्रशंसा किया जाए वह कम है। आज संस्था इस कार्यक्रम में मुझे आमंत्रित किया इसके लिये मैं इनका आभारी हूँ साथ-साथ मैं भोजपुरी भाषा का भी सम्मान करता हूँ। क्योंकि भारत धरती पूजनिय है यहां की नारियों में सभ्यता सम्मान व रहन सहन सभी देखने को मिलता है। 

माॅरिशस में रामायण, गीता, हनुमान चालिसा व छठ पूजा धूमधाम से मनायी जाती है। कार्यक्रम में सुश्री भावना गौड़, विधायक, पालम विधान सभा भी उपस्थित होकर संत नारायणा गुरू जयंती समारोह में बताया कि संस्था हमारे क्षेत्र में ही अपने अभियान चला रही है और आज मुझे गांधी शांति प्रतिष्ठान आमंत्रित किया इसके लिये मैं संस्था की हर कमी को पूरा करने में अपना सहयोग दूँगी और संतो के विचार से समाज में अच्छे संस्कार मिलते है। वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार जी ने अपने विचारों को वयक्त करते हुए बताया कि भारतीय इतिहास मंे संतो का महत्व तथा बिना भारतीय संतो के इतिहास निरर्थक है। खुद की पहचान को भूलते भारत को दर्शाया। भारत में सामाजिक परविर्तन में संतो का योगदान तथा उनमें संत नारायणा का बहुत अमूल्य है। 

समाज में बुराईयों का विद्रोह का तरीका किसी विशेष चरित्र से लेकर रहा है। विद्रोहक इसका तरीका है। नारायणा गुरू जी के अनुसार दलितों के अलग मंदिर को बनाया उनका विद्रोह का तरीका हिंसात्मक न होकर अहिंसात्मक था। केरल की सामाजिक उन्नति के संत नारायणा की भूमिका पर प्रकाश डाला तथा उनका जिसमें सगठन, ज्ञान व शिक्षा अमूल्य है। प्रो. जी.डी. दिवाकर ने बताया कि यह संस्था द्वारका उपनगरी में बेघर बेसहारा लोगों के लिये भी एक अच्छी मुहिम चला रही है। वहीं सामाजिक कार्यकर्ता बुराड़ी से रेखा सिन्हा ने नारी सशक्तिकरण पर अपने विचार रखे और बताया कि जब-तक हमारे देश में नारी सुरक्षित नहीं होंगी तब तक हम सामाजिक संगठनों को एक जुट होकर काम करना होगा। सामाजिक कार्यकर्ता अखिलेश कटियार जी ने भारतीय संतों द्वारा मोक्ष की परिकल्पना पर प्रकाश डाला। बाबा साहब नारायणा गुरू के सहयोग की प्रशंसा की। कार्यक्रम में श्रद्धा फाउन्डेशन से पूर्णिमा गुप्ता, निर्भया ट्रस्ट से राजकुमार अनुरागी ने कहा कि संत महापुरूषों की जयंती हो या महिला सशक्तिकरण या बेघर बेसहारा लोग इस संस्था के संस्थापक महासचिव अपने अभियान को सक्रिय बनाने में जुडे़ रहते है मैं ऐसे समाज सेवियों को दिल से धन्यवाद देता हूँ। वंहीं झूग्गी झोपड़ी एकता मंच के अध्यक्ष जवाहर सिंह ने कहा कि आज मैं इन संतों महापुरूषों के जयंती कार्यक्रम में भाग लेकर गौरांवित महसूस कर रहा हूँ। 

कार्यक्रम लेखक तथा अनुवादक, भारत सरकार, नई दिल्ली रमेश भंगी जी ने जीवन में किये संघर्ष की प्ररेणा की याद करायी। साथ ही डाॅ. भीमराव अम्बेडकर के मुहिम के तहत उनके किये गये कर्माें से आज मैं समाज में सूरक्षित हूँ और अपने पूरे अधिकार प्राप्त करने में भी कामयाब हूँ और जातिवाद व भेदभाव को खत्म करके मिल जुलकर देश में अन्धविश्वास को खत्म करना चाहता हूँ। कार्यक्रम का संचालन भाई बी.के.सिंह ने किया और बताया कि नारायाणा गुरू जी ऐसे धर्म की खोज में थे, जहां आम से आम आदमी भी जुडा़व महसूस कर सके। वह नीची जातियों और जाति से बाहर लोगों को स्वाभिमान से जीते देखना चाहते थे। उस समय केरल में लोग ढेरों देवी-देवताओं की पूजा करते थे। नारायणा गुरू जी ने कहा था कि एक धर्म और एक ईश्वर होना चाहिये। उसी दौर में महात्मा गांधी जी समाज में दूसरे स्तर पर छुआछूत मिटाने की कोशिश कर रहे थे। वह एक बार नारायण गुरु से मिले भी थे। गुरुजी ने उन्हें आम जन की सेवा के लिए सराहा भी था। नारायण गुरु ने ही गांधीजी से कहा था कि अपने अखबार ष्नवजीवनष् का नाम बदल कर ष्हरिजनष् कर ले। गांधीजी ने तुरन्त उनकी बात मान ली थी। नीची जातियों के लिए हरिजन शब्द का प्रयोग तभी से किया जाने लगा। कार्यक्रम में सतेन्द्र कुमार, बी.आर.चैधरी वरिष्ठ प्रबंधक, एम.टी.एन.एल., आर.के.शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता, सुप्रिम कोर्ट, विशाल कुमार पाण्डे, गुड्डी शर्मा, आशा कुमारी, सामाजिक कार्यकर्ता रेखा भसिन, संतोष शर्मा, रचना सचदेवा, ममता बोस अतिथि के रूप में उपस्थित थी। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था की मानद् महासचिव रानी सिंह ने किया।

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