Quantcast
Channel: Dwarka Parichay
Viewing all articles
Browse latest Browse all 12388

ईद मुबारक -- रईस सिद्दीक़ी

$
0
0

पेश है "ईद " पर कुछ शायरों की नज़्मों और ग़ज़लों से चुनीदा  शेर। 











आप इधर आये,उधर दीन और ईमान गए
ईद का चाँद नज़र आया तो रमज़ान गए
दीन: धर्म , ईमान:आस्था
--शुजा ख़ावर
चाक-ए-दामन को जो देखा तो मिला ईद का चाँद
अपनी तक़दीर कहाँ भूल गया ईद का चाँद
जाने क्यों आपके रुख़सार महक उठते हैं
जब कभी कान में चुपके से कहा ईद का चाँद
चाक-ए-दामन:फटा दामन ,रुख़सार: गाल --साग़र सिद्दीक़ी
रोज़ों की सख़्तियों में न होते अगर असीर
तो ऐसी ईद की न ख़ुशी होती दिल-पिज़ीर
सब शाद हैं ,गदा से लगा शाह ता वज़ीर
देखा जो हमने ख़ूब तो सच है, मियाँ नज़ीर
ऐसी न शबे बरात , न बकरीद की ख़ुशी
जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी

असीर :क़ैद , दिल-पिज़ीर :मन भावन
शाद : ख़ुशी, गदा :भिकारी ,
शाह ता वज़ीर :राजा से मंत्री तक
शबे बरात: रमज़ान में रहमत की रात


--नज़ीर अकबराबादी
तंगदस्ती और फिर बच्चों की आँखों में उम्मीद
मुफ़लिसी का इम्तिहान लेने को आजाती है ईद
मेहबूब से पाता है ज़िया ईद का चाँद
आज से पहले तो ऐसा न खिला ईद का चाँद
ईद फिर ईद है ,बस लेके ख़ुशी आती है
बे-बसी की कहाँ सुनता है सदा, ईद का चाँद

तंगदस्ती:तंग हाथ/आभाव , मुफ़लिसी :ग़रीबी
ज़िया:प्रकाश , सदा: आवाज़

-- मुमताज़ अज़ीज़ नाज़ाँ
तुमने तो अपने दिल की अम्मी से कह सुनाई
अब्बा के दिल से पूछो, बिपता किसे सुनाये
बच्चो , तुम्हारी ईदी कैसे बढ़ाई जाए !
--मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
हो गए थे ईद की रंगीन सा-अत में जो गुम
ढूंडती हैं अब भी उन बच्चों को माएं,ऐ ख़ुदा
सा-अत: समय, गुम: खोना
-- रईसुद्दीन रईस
हालात 'शहाब'आँख उठाने नहीं देते
बच्चों को मगर ईद मनाने की पड़ी है

--शहाब सफ़दर
ईद के दिन जो तेरी दीद न होगी ऐ दोस्त
ईद तो होगी , मगर ईद न होगी ऐ दोस्त
ईद: त्योव्हार/ ख़ुशी , दीद :दर्शन

--शमीम करहानी
तंगदस्ती और फिर बच्चों की आँखों में उम्मीद
मुफ़लिसी का इम्तिहान लेने को आजाती है ईद
मेहबूब से पाता है ज़िया ईद का चाँद
आज से पहले तो ऐसा न खिला ईद का चाँद
ईद फिर ईद है ,बस लेके ख़ुशी आती है
बे-बसी की कहाँ सुनता है सदा, ईद का चाँद
तंगदस्ती:तंग हाथ/आभाव , मुफ़लिसी :ग़रीबी
ज़िया:प्रकाश , सदा: आवाज़

-- मुमताज़ अज़ीज़ नाज़ाँ
यही दिन अहल-ए-दिल के वास्ते उम्मीद का दिन है
तुम्हारी दीद का दिन है ,हमारी ईद का दिन है
ज़हे क़िस्मत, हिलाल-ए-ईद की सूरत नज़र आई है
जो ये रमज़ान के बीमार, उन सब ने शिफ़ा पायी है
अहल-ए-दिल:दिल वाला /प्रेमी ,दीद:दर्शन ,ईद :ख़ुशी
ज़हे क़िस्मत:ख़ुशक़िस्मत,हिलाल-ए-ईद :ईद का चाँद
शिफ़ा पाना :स्वस्थ होना


-- मजीद लाहोरी

सारा घर खुश था, मगर तेरे बिछड़ जाने से
ईद का दिन भी लगा मुझको मुहर्रम जैसा

मुहर्रम : ग़म का दिन
--हसन काज़मी
कब तलक अर्श से फ़रमान सुनाएगा हिलाल
कभी आँगन में उतर और कभी ईद भी कर

अर्श:आसमान ,हिलाल:पहले दिन का चाँद
--अलीना इतरत रिज़वी
ईद का दिन है आज सनम यूँ न मुझ पर टूट
ईद मना ले, ऐ जानम आज न मुझ से रूठ।
पूरी होगी, ग़म न कर ईद मिलन की आस
पलभर में ही बरसों की ईद बुझाए प्यास।
सनम : महबूबा ,जानम :मेरी जान

--अरशद मीनानगरी
ख़ुशबू से लिख रही थी हवा ईद-मुबारक
फूलों ने खिलखिला कर कहा ईद-मुबारक
जैसे ही मेरा चाँद उधर बाम पे आया
हर सम्त से आई ये सदा, ईद-मुबारक
बाम :छत ,सम्त:ऒर /तरफ़ ,सदा :आवाज़
--तहसीन मुनव्वर
महेक उठी है फ़ज़ा पैरहन की ख़ुश्बू से
चमन दिलों का खिलाने को ईद आई है
फ़ज़ा : माहोल,पै-रहन:लिबास ,वस्त्र
--मो. असदुल्लाह




Viewing all articles
Browse latest Browse all 12388

Trending Articles