इस अवसर संस्थान के प्रधान श्री जवाहरलाल जी ने कहा कि ऋतुराज वसंत के आगमन से प्रकृति ही नहीं मानव जीवन में भीउमंग-जोश दिखाई देता है। जिस तरह हमारे जीवन में बाहर की ऋतुओं का प्रभाव होता है, ठीक वैसे ही मनुष्य की अंतःचेतना में अंतरंगमौसम होते हैं। योग-साधना में जीने वाला व्यक्ति अपने हृदय में वसंत को निरंतर बनाए रखने की क्षमता पैदा कर लेता है।
संस्थान के महामंत्री श्री देशराज जी ने कहा कि योग का महत्त्व स्वयंसिद्ध है । इसका स्वरूप सरल, व्यावहारिक एवं कल्याणकारी है ।भारतीय योग संस्थान पिछले 48 वर्षों से देश-विदेश में सैकड़ों शाखाओं द्वारा लोगों को तन से स्वस्थ एवं मन से निर्मल करने का प्रकल्यचलाए हुए हैं। उन्होंने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने की घोषणा पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि भारत की हमेशा सेही वसुधैव कुटुंबकम् की भावना रही है। यह कदम जन-जन को शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आत्मिक लाभ पहुंचाने में मददगार साबितहोगा। महामंत्री श्री देशराज जी ने इस मौके पर सर्वश्रेष्ठ साधना केंद्र के लिए डिस्ट्रिक्ट पार्क रोहिणी, साधना केंद्र के प्रमुख श्री अशोक पुरीसहित श्रेष्ठ साधना केन्द्रों के प्रमुखों को अवॉर्ड प्रदान कर सम्मानित भी किया।
प्रवक्ता श्री राजकुमार जैन ने बताया कि माननीय प्रेरणापुरुष स्व.श्री प्रकाशलाल जी द्वारा 10 अप्रैल 1967 को स्थापित भारतीय योगसंस्थान द्वारा देश-विदेश में सैकड़ों शाखाओं के माध्यम से योग के तत्व को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य निरंतर चल रहा है।
प्रवक्ता श्री राजकुमार जैन ने बताया कि माननीय प्रेरणापुरुष स्व.श्री प्रकाशलाल जी द्वारा 10 अप्रैल 1967 को स्थापित भारतीय योगसंस्थान द्वारा देश-विदेश में सैकड़ों शाखाओं के माध्यम से योग के तत्व को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य निरंतर चल रहा है।